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गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
बहना मेरी हर सुबह की भोर हो तुम, हर सवालों का जवाब और मेरे मन में उठा शोर हो तुम
जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे और पराये अपने लगने लगे, तो समझ लीजिए विनाश का समय आरंभ हो गया है।
आप किस कुल, परिवार में जन्मे हो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको बस दूसरों से हटकर अपनी राह बनानी होती है।
तेरे होने से ही मेरे घर परिवार में खुशियां हैं क्योंकि बहना तू मुझे मिला खुशियों का वरदान है ।
जब परिवार में स्वार्थ के विवाद हो जाता है, तो धीरे धीरे परिवार बिखर जाता है
परिवार की ज़िंदगी में, प्यार तेल है जो मनमुटाव को कम करता है, सीमेंट जो एक साथ बांधता है, और संगीत जो सुख देता है।
मिट्टी का मटका और परिवार की क़ीमत ! सिर्फ बनाने वाले को ही पता होती है, तोड़ने वाले को नहीं.
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी, मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा