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अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
मेरी जिंदगी एक बंद किताब है, जिसे आज तक किसी ने खोला नहीं, जिसने खोला उसने पढा नही, जिसने पढा उसने समझा नही
रिश्ता कुछ ऐसा होना चाहिए की लड़ाई जब दो में हो, तो तीसरे को पता नही चलना चाहिए।
कभी कभी वो दौर भी आता है ज़िंदगी में, जब आपको अपनी पसंद से भी नफरत हो जाती है।
दिखावे के शरीफ बनने की आदत नही है हमारी, शब्द चाहे जैसे भी हो खुलेआम बोलते है।
हर सुबह एक नया अवसर लाती है, खुद को साबित करने का और अपनी दिशा निर्धारित करने का।
आपके माता-पिता के सिवा ऐसा कोई नही है, जो आपको खुद से ज्यादा सफल देखना चाहता है।
हम किसी के लिए तब तक अच्छे है, जब तक हम उनका फायदा करते रहे।
अपनी कमजोरी दूसरों को मालूम हो या ना हो मगर खुद को जरूर मालूम होनी चाहिये
रात नही होगी तो सुबह का महत्व नही होगा, दिख के बादल नही आएंगे तो सुख का अनुभव ही नही होगा।